गर्ल्स स्कूल को बॉयज स्कूल में मर्ज करने के मामले में अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव और निदेशक माध्यमिक शिक्षा को हाईकोर्ट में तलब किया हैं। जस्टिस अनूप ढंड की अदालत ने यह आदेश प्रिया डामेर सहित अन्य छात्राओं की याचिका पर स
.
दोनों अधिकारियों को आज अदालत ने दोपहर 2 बजे पेश होने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, शिक्षा विभाग ने ब्यावर जिले के गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल को 14 जुलाई को राजकीय माध्यमिक स्कूल (बॉयज स्कूल) देलवाड़ा में मर्ज कर दिया। इसके विरोध में छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शिक्षा विभाग से गर्ल्स स्कूल की बिल्डिंग के फोटोग्राफ और निर्माण की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन पिछली सुनवाई पर विभाग ने इस आदेश की पालना नहीं की। जिसके बाद कोर्ट ने अधिकारियों को व्यक्तिगत अथवा वीसी से कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए।
स्कूल की नई बिल्डिंग बनी है छात्राओं की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि अभी कुछ माह पहले ही गर्ल्स स्कूल की नई बिल्डिंग बनकर तैयार हुई हैं। लेकिन सरकार बिल्डिंग का दूसरा उपयोग करना चाहती हैं।
ऐसे में विभाग ने बिना पेरेंट्स की अनुमति के गर्ल्स स्कूल में पढ़ रहीं 276 छात्राओं का नामांकन बॉयज स्कूल में कर दिया। जबकि बॉयज स्कूल में पहले से 303 छात्र नामांकित हैं।
वहीं बॉयज स्कूल के भवन में इतने कमरे नहीं हैं कि सभी स्टूडेंट्स को एक साथ बैठाया जा सके। गर्ल्स स्कूल में इस साल भी 40 नए नामांकन आए हैं। लेकिन उसके बाद भी स्कूल को मर्ज कर दिया गया।
छात्राओं ने धरना भी दिया था उन्होने कहा कि शिक्षा विभाग का यह निर्णय शिक्षा के अधिकार और समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। लड़कियों की सुरक्षा, सुविधाओं और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए यह मर्जर निर्णय अनुचित है।
इस निर्णय के खिलाफ ग्रामीणों और छात्राओं ने 16 जुलाई को स्कूल के बाहर धरना भी दिया था। वहीं जिला कलेक्टर और स्थानीय विधायक ने स्कूल को मर्ज नहीं करने के लिए शिक्षा विभाग को लेटर भी लिखे थे। लेकिन उसके बाद भी विभाग ने स्कूल को मर्ज कर दिया।