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जेलेंस्की ने ट्रंप को दिखाई आंख, कहा- नहीं छोड़ेंगे डोनबास, सीजफायर के लिए अब…


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार (15 अगस्त 2025) अलास्का में मिलने वाले हैं. पूरी दुनिया की नजर इस मीटिंग पर है क्योंकि इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़े फैसले होने की संभावना जताई जा रही है. इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने दो टूक कहा कि रूस के साथ किसी भी हाल में जमीन का सौदा नहीं होगा. जबकि ट्रंप ने बार-बार कहा है कि रूस और यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए किसी न किसी तरह की जमीन अदला-बदली करेंगे.

रूस को नहीं सौंपेंगे डोनबास का क्षेत्र 

जेलेंस्की ने ट्रंप को आंख दिखाते हुए कहा कि वह किसी भी हालत में रूस को डोनबास का क्षेत्र नहीं सौंपेंगे. स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक जेलेंस्की से पूछा गया कि क्या आज की बातचीत के बाद पूर्वी डोनबास क्षेत्र रूस को सौंपने पर उनका रुख बदल गया है क्योंकि पुतिन सीजफायर के बदले इस क्षेत्र पर नियंत्रण चाहते हैं? इस पर जेलेंस्की ने कहा कि उनका रुख नहीं बदला है क्योंकि यह यूक्रेनी संविधान पर आधारित है और यूक्रेनी संविधान नहीं बदला है.

यूक्रेन के लगभग 20 फीसदी हिस्से पर रूस का नियंत्रण

वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, “हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े किसी भी सवाल पर हमारे लोगों, हमारी जनता की इच्छा, यूक्रेनी संविधान का सम्मान किए बिना चर्चा नहीं की जा सकती.” रूस वर्तमान में यूक्रेन के लगभग 20 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण रखता है. इसमें पूरा लुहान्स्क और पूर्वी यूक्रेन में डोनेट्स्क का एक बड़ा हिस्सा शामिल है, जो मिलकर डोनबास बनाते हैं. डोनबास यूक्रेन का औद्योगिक और खनन केंद्र है. डोनबास यूक्रेन के किले क्षेत्र का भी हिस्सा है.

जेलेंस्की ने डोनबास से सेना को वापस बुलाने से इनकार किया

जेलेंस्की ने डोनबास में यूक्रेन के नियंत्रण वाले क्षेत्रों से यूक्रेनी सैनिकों को वापस बुलाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, “हर कोई इस मुद्दे को भूल जाता है कि मेरे क्षेत्रों में रूस का अवैध कब्जा है. हम डोनबास नहीं छोड़ेंगे.” उन्होंने कहा, “डोनबास की जमीन रूस को देने के बाद उसे फिर से यूक्रेन के साथ युद्ध करने का मौका मिल जाएगा. इस बार उसे और भी गहराई से यूक्रेन के भीतर घुसने का मौका मिल जाएगा.”

जेलेंस्की बार-बार कह रहे हैं कि किसी भी तरह की बात सुरक्षा की गारंटी के बिना नहीं हो सकती है. वह अमेरिका और यूरोप से यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं ताकि बातचीत के बाद फिर रूस उस पर हमला न करे.

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