राहुल गांधी के आरोपों के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई क्या दी, विपक्ष और भी ज्यादा हमलावर हो गया. और जो मुद्दा महज राहुल गांधी और कांग्रेस के इर्द-गिर्द था, वो इतना भड़क गया कि उसका शोर अब संसद से लेकर सड़क तक दिखने लगा है और इसके लिए पूरा का पूरा विपक्ष लामबंद हो गया है.
संसद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अगुवाई कर रही हैं, जिसमें अखिलेश यादव भी एक अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं. बाकी पूरा विपक्ष नारेबाजी कर रहा है.
सड़क पर राहुल गांधी ने संभाली कमान
वहीं वोटर अधिकार यात्रा, जिसकी कमान राहुल गांधी के हाथ में है और उनके सारथी बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बने हैं. विपक्ष की बाकी पार्टियां (सीपीआई, माले), सब एक साथ एक जुट हुए. दरअसल राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद, जिसमें उन्होंने ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया था, अब संसद में प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, सड़क पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के खिलाफ माहौल बना दिया है.
सवाल ये उठता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को तो चुनाव लड़ना नहीं है कि उनके खिलाफ माहौल बनाया जाए. उन्हें पद से हटाना भी मुश्किल है, क्योंकि चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया बेहद कठिन है और फिर विपक्ष के पास वो संख्याबल भी नहीं है कि इस प्रक्रिया से वो खुद को निकाल पाए.
विपक्ष के इस प्रदर्शन से चुनाव आयोग पर दबाव
देखा जाए तो विपक्ष के इस प्रदर्शन से चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ेगा और वो सारी प्रक्रिया रोक देगा. इसकी भी सूरत नजर नहीं आती, क्योंकि चुनाव आयोग अपनी बात पर अड़ा है और अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो फैसला भी कोर्ट से ही होगा.
वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी कह रहे हैं कि एक भी वोट की चोरी वो नहीं होने देंगे, लेकिन कैसे, इसका जवाब राहुल गांधी के पास भी अभी नहीं है. आने वाले समय में भी राहुल गांधी इसका कोई ठीक-ठीक जवाब दे पाएंगे, इसमें भी संदेह है. राहुल गांधी जिस रास्ते पर चले हैं, वो रास्ता राजनैतिक है और चुनाव आयोग का मुद्दा संवैधानिक है, जिसकी पेचिदगियों से पार पाना अभी कांग्रेस के अधिकार में नहीं है.
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