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- Bhadrapada Amavasya On 23 August, Significance Of Bhadrapad Amawasya In Hindi, Pitru Paksha Date, Vishnu Puja Vidhi On Amawasya
9 घंटे पहले
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अभी भाद्रपद मास चल रहा है। इस मास की अमावस्या शनिवार, 23 अगस्त को है। जब शनिवार को ये तिथि आती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी और कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन नदी स्नान, पितरों के तर्पण और दान-पुण्य करने की परंपरा है।
जानिए भाद्रपद अमावस्या से जुड़ी खास बातें…
- भाद्रपद की अमावस्या पर महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि की कामना से व्रत करती हैं।
- पुराने समय में इस तिथि पर कुशा घास एकत्र की जाती है। कुश एक खास प्रकार की घास है, जिसका इस्तेमाल पूजा-पाठ, पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण आदि कामों में अनिवार्य रूप से किया जाता है। भाद्रपद की अमावस्या पर सालभर के तीज-त्योहारों पर इस्तेमाल करने के लिए कुशा घास एकत्र की जाती है।
- पितृ पक्ष से पहले आने वाली भाद्रपद अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और धूप-ध्यान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में घर-परिवार के पितर देवता हमारे घर आते हैं। इस साल पितृ पक्ष 8 सितंबर से शुरू हो रहा है।
- इस तिथि पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।
- भाद्रपद अमावस्या पर काले तिल, सरसों का तेल, काला कंबल, जूते-चप्पल, छाता, कपड़े, अनाज, भोजन, तेल-घी खासतौर पर दान करना चाहिए।
- शनिवार और अमावस्या के योग में शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें। शनिदेव को नीले फूल चढ़ाएं। काले तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें और ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें।
- भाद्रपद अमावस्या पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। घर के मंदिर में विष्णु जी और महालक्ष्मी को जल, दूध, पंचामृत चढ़ाएं। पीला चंदन, तुलसी पत्र, पुष्प अर्पित करें। सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है। इस दिन पीपल के नीचे दीपक जलाएं और पीपल की 7 परिक्रमा करें। ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जप करें।
- इस दिन गाय, कौए और कुत्तों को भोजन कराना चाहिए। इस दिन विधिवत पूजा और पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। ऐसी मान्यता है।