आंध्र प्रदेश के बापटला जिले में बुधवार को बेंगलुरु के एक 60 वर्षीय रियल एस्टेट डेवलपर और उनके बेटे का अपहरण कर हत्या कर दी गई। कथित तौर पर यह हत्या उनके व्यापारिक सहयोगियों के साथ लंबे समय से चल रहे भूमि विवाद के कारण की गई। पीड़ित, के. वीरास्वामी रेड्डी और उनके बेटे के.वी. प्रशांत (35), दोनों बेंगलुरु के चिन्नासंद्रा कडुगोडी के निवासी हैं। वे चेक बाउंस मामले की सुनवाई में शामिल होने के लिए नरसारावपेट गए थे। पुलिस के अनुसार, वीरास्वामी का संतमागुलुरु निवासी अपने व्यापारिक सहयोगियों गद्दाम अनिल रेड्डी और रघुरामी रेड्डी के साथ कई कानूनी विवाद थे। एक आरोपी ने कथित तौर पर वीरास्वामी की चेक बुक हासिल कर ली थी और गुंटूर, ओंगोल, कुरनूल और नरसारावपेट की अदालतों में चेक अनादर के कई मामले दर्ज कराए थे।
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बदमाश से रियल एस्टेट का कारोबार करने वाले एक व्यक्ति की हत्या के सिलसिले में पांच और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में भाजपा विधायक बिरथी बसवराज को भी आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
इन नई गिरफ्तारियों के साथ इस मामले में हिरासत में लिए गए लोगों की कुल संख्या अब 16 हो गई है। पुलिस ने बताया कि एक हफ्ते पहले शहर के भारती नगर में शिवप्रकाश उर्फ बिकलू शिवू (40) की हत्या कर दी गई थी।
सभी 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया है।
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अदालत ने उन्हें चार अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस मामले के मुख्य आरोपी जगदीश उर्फ जग्गी और दानुश समेत दो अन्य लोगों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि घटना के बाद से दोनों फरार हैं।
इस बीच, बसवराज से अब तक हत्या के सिलसिले में दो बार पूछताछ हो चुकी है।
तेईस जुलाई को उनसे चार घंटे तक पूछताछ की गई और पुलिस के अनुसार, जरूरत पड़ने पर उन्हें फिर से तलब किया जा सकता है।
इस मामले में पांचवें आरोपी के रूप में नामजद विधायक कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्देश पर 19 जुलाई को पूछताछ के लिए पेश हुए थे।
बसवराज ने मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है और प्राथमिकी को निराधार बताते हुए उसे रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर की है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनका नाम बिना किसी आधार के जोड़ा गया है।
पीड़िता की मां विजयलक्ष्मी ने भी कहा कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिकायत में विधायक का नाम नहीं लिया था और आरोप लगाया कि पुलिस ने स्वयं ही उनका नाम शामिल कर लिया, जिससे प्राथमिकी की वैधता को लेकर संदेह पैदा हो गया है।