जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि आतंकवादी हमले राज्य का दर्जा होने के दौरान भी हुआ था. उनका कहना है कि आतंकवाद के लिए राज्य का दर्जा जिम्मेदार नहीं है, बल्कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ खराब संबंध इसका कारण है.
फारूक अब्दुल्ला का बयान
फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया से कहा, “ये (आतंकवादी हमले) उस समय भी हुए जब यह जम्म-कश्मीर को राज्य का दर्जा हासिल था. राज्य का दर्जा इसका कारण नहीं है. यह इसलिए हुआ क्योंकि हमारे पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं. आतंकवादी वहीं से आते हैं. यदि कोई राज्य का दर्जा और पहलगाम हमले की बात कर रहा है, तो उन्हें याद रखना चाहिए कि मेरे कार्यकाल के दौरान भी कई घटनाएं हुईं लेकिन तब जम्मू-कश्मीर राज्य था.”
उन्होंने कहा, “हमने उस समय इसका समाधान किया. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस बात को ध्यान में रखेगा और हमारे अधिकार बहाल करेगा, जैसा कि संसद के अंदर और बाहर सरकार ने वादा किया था.”
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को स्थिति का आकलन करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत ने केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर जवाब मांगा. याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील जहीर अहमद भट और खुर्शीद अहमद मलिक ने सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2023 के 370 अनुच्छेद रद्द करने के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला नहीं किया क्योंकि सॉलिसिटर जनरल ने चुनाव के बाद इसे बहाल करने का आश्वासन दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भूषण बीआर गावई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, “आपको जमीनी वास्तविकताओं को भी ध्यान में रखना होगा और अप्रैल में पहलगाम में हुई घटना को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हमारे पास सभी विशेषज्ञता नहीं है और कुछ निर्णय सरकार द्वारा किए जाने चाहिए.”
पहलगाम हमले में मारे गए थे 26 निर्दोष लोग
22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे. आतंकवादियों ने हमला इतना क्रूर रूप से किया कि पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बन गया. मारे गए लोगों में एक स्थानीय शख्स था बाकि अन्य लोग पर्यटक थे.