अमेठी से संजय यादव की रिपोर्ट
पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस के बाद बेसन,रिफाइंड,घी और तेल ने जनता की रेल बनाकर रख दी है। चार माह में इन खाद्य पदार्थों के दामों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी रसोई के बजट को पूरी गड़बड़ा दिया है। त्यौहारी सीजन में खाद्य पदार्थों के साथ सब्जियों के दामों में वृद्धि की संभावनाएं अभी से जताई जाने लगी है। ऐसा लगने लगा है कि मंहगाई पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं रह गया है। कोरोना और महंगाई की दोहरी मार से हर कोई बेहाल है।
कभी प्याज तो कभी टमाटर तो कभी दालों के दामों के आसमान छूने के रूप में डायन महंगाई सामने आती रहती है। एक साल तक कोरोना की मार झेलने के बाद लोग उबरे तो पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी। अब खाद्य पदार्थों के आसमान छूते भाव नई मुसीबत लेकर आए हैं। रसोई गैस की बात करें तो दो माह में 125 रुपये की बढ़ोत्तरी हो चुकी है,जबकि पेट्रोल-डीजल की कीमत भी अपने रिकार्ड स्तर पर पहुंची है। जब हमारी टीम ने सोमवार को बाजार का हाल जाना तो पता चला कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में चार माह से लगातार उछाल आ रहा है। सबसे ज्यादा मारामारी घी,रिफाइंड,बेसन तेल आदि पर है। इस बार चीनी,चावल के दाम तो स्थिर हैं, लेकिन मसालों,चने की दाल,राजमा,काले चने और मिर्च उछाल पर है।