सयुक्त किसान मोर्चे अमेठी की बैठक ब्लॉक मुख्यालय बहादुरपुर पर हुई जिसमें सयुक्त किसान मोर्चे में शामिल किसान संगठनों ने आगामी 27 सितंबर को भारत बंद के आव्हान को सफल बनाने की रणनीति पर चर्चा की चर्चा करने के बाद किसान नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा की।
जैसा कि हम सब जानते हैं अपनी जमीन को कारपोरेट के हवाले करने के लिए सरकार द्वारा लाए गए तीन काले कानूनों के खिलाफ हमारा अन्नदाता किसान पिछले 10 महीनों से सड़कों पर है लेकिन उसका यह आंदोलन केवल उसके लिए नहीं है बल्कि उसकी लड़ाई मजदूर बेरोजगार व्यापारी रेहड़ी पटरी वालों बुनकर छोटे उद्यमियों व्यापारियों सहित समाज के सभी तबकों के लिए है हम अच्छी तरह समझ चुके हैं कि हमारे द्वारा चुनी गई सरकार हमारे भलाई और आजादी के लिए काम नहीं करती हैं बल्कि चुनाव दर चुनाव समाज पर कारपोरेट के राज्य का फंदा और अधिक कसने का काम करती हैं इस बार वे तीन काले कृषि कानून लेकर आए हैं यह कानून कांट्रैक्ट फार्मिंग और कारपोरेट मंडियों के जरिए किसानों की जमीन पूंजीपतियों के हवाले कर उन्हें गुलाम बना देंगे आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी की इजाजत देकर हमारी रसोई के खर्च को चौगुना कर देंगे बिजली डीजल पेट्रोल खाद्य तेल की महंगाई तथा लगातार बढ़ते जा रहे टैक्स से पहले से ही परेशान समाज के हर तबके का जीना मुहाल हो जाएगा पहले से ही नारकीय जीवन बिता रहे मजदूरों की जिंदगी को और भी तबाह करने के लिए नए श्रम कानून लाए गए हैं इनके जरिए एक मानवीय सरकार तमाम संघर्षों के बाद हासिल हुए श्रम को कर्मचारियों के तमाम अधिकार एक झटके में खत्म कर देना चाहती है युवाओं के लिए रोजगार की कोई गारंटी नहीं है उनकी युवावस्था के कई बहुमूल्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में ही बीत जाते हैं पर एक अदत नौकरी की उनकी आस पूरी नहीं होती है वह पिछले कई सालों से सरकारी नौकरी के लिए गुहार लगाते हुए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है सरकारी करण की बजाय निजी करण की नीति से रोजगार के अवसर लगातार घट रहे हैं पहले जीएसटी नोटबंदी अब कारपोरेट कंपनियों को खुदरा बाजार में घुसने की इजाजत देने से व्यापारी वर्ग भी बर्बादी की कगार पर आ चुका है चंद्र बड़े कारपोरेट को बढ़ावा देकर छोटे कारोबारियों और छोटे उद्योगों को तबाह कर दिया गया है देश की बहुमूल्य संपत्तियों और सरकारी कंपनियों को औने पौने दामों में निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है समाज के हर तबके के इस बदहाली के बावजूद सरकार हमारा ध्यान बंटाने के लिए सांप्रदायिक और जातीयनफरत की राजनीति कर रही है अपने खिलाफ उठने वाली आम जनता की हर आवाज को दबाकर संविधान और लोकतंत्र का गला घोट रही है ऐसे मुश्किल समय में हमारे अन्नदाता किसानों ने सर्दी गर्मी बरसात और सत्ता के दमन की परवाह ना करते हुए एक ऐतिहासिक आंदोलन खड़ा किया है ।
सब के सहयोग व समर्थन से यह आंदोलन विनोद दिन नई ऊंचाइयां छू रहा है इसमें एक नई उम्मीद पैदा की है कि समाज पर कारपोरेट कंपनियों का राज खर्च किया जा सके भारत के संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में इस आंदोलन में हमारे समर्थन की परीक्षा के लिए सोमवार 27 सितंबर 2021 को भारत बंद का आवाहन किया है हमारे लिए लड़ रहे नेताओं के भरोसे को कायम रखते हुए इस बंद में शामिल हुई है 27 सितंबर को 6:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक अपने स्कूल वाले कारखाने रिक्शा ऑटो टैक्सी आज बंद कर आंदोलन के साथ अपनी एकता प्रदर्शित करें और इनकी बहरी का दलाल सरकार को बता दें कि हम अब उनकी देश विरोधी नीतियों को और बर्दाश्त नहीं करेंगे हमारी जो मांगे हैं किसान विरोधी पीने का तीनों काले कानून वापस लो दूसरा है फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी करो नया बिजली बिल संशोधन बिल वापस लो वापस लो नौजवानों को सरकारी नौकरी की गारंटी करो व्यापारियों को तबाह करने वाली कॉपी नीतियां लागू करना बंद करो बिजली डीजल पेट्रोल के दाम को आप आधा कीजिए इस बैठक में जयकिसान आंदोलन,उत्तर प्रदेश किसान सभा,किसान क्रांति दल,भारतीय किसान यूनियन टिकैत, किसान कल्याण एशोसिएशन, भारतीय किसान यूनियन हरपाल गुट आदि की सहमति रही बैठक मे किसान नेता राकेश कुमार मिश्र, संजय कुमार,कमला प्रसाद त्रिपाठी, हरभजन यादव,रामलखन,राकेश कुमार सिंह, उर्मिला, हसमत,रामावती, जानकी आदि इस बैठक में शामिल रहे।