रिपोर्ट राजेश यादव
डलमऊ रायबरेली प्रांतीय ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेला स्थगित होने के बाद घाटों पर सन्नाटा पसरा रहा, स्नान घाटों तक श्रद्धालुओं को पहुंचने के लिए पुलिस ने कडी चौकशी कर रखी थी। पुलिस प्रशासन ने कस्बे के स्नान घाटों से लेकर विभिन्न मार्गों पर जगह जगह बेरियल लगा रखा था। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु गंगा घाट तक पहुंचने के लिए जमकर प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें स्नान घाटों तक पहुंचने से पहले ही रोक लिया। यहां तक की दूरदराज से बैल गाड़ियों में सवार होकर श्रद्धालु भी डलमऊ पहुंचे थे परंतु पुलिस प्रशासन ने उन्हें मुराई बाग चौराहे से ही खदेड़ दिया। पूर्णिमा मेले में कस्बे के 16 स्नान घाटों पर प्रशासन की तरफ से गंगा नदी के अंदर बेरी कटिंग कराई गई थी। अगर कोई भी श्रद्धालु बच बचाकर गंगा नदी में स्नान करें तो वह गहरे जल में ना जा सके। महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरी ने बताया कि इतिहास में पहली बार डलमऊ का ऐतिहासिक पूर्णिमा मेला कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित कर दिया गया है। जिसके चलते लाखों की संख्या में इस पूर्णिमा पर आने वाले श्रद्धालु भक्त इस वर्ष पूर्णिमा मेले में शामिल नहीं हो सके।
पहली बार स्थगित हुआ ऐतिहासिक मेला
ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेला इतिहास में पहली बार स्थगित हुआ है। डलमऊ गंगा घाट पर कई पीढ़ियों से यह ऐतिहासिक मेला 5 किलोमीटर की परिधि में लगता था। परंतु इस वर्ष कोविड-19 महामारी के चलते मेले को शासन स्तर से स्थगित कर दिया गया है। सिर्फ दीपदान के लिए ही अनुमति दी गई थी। शासन द्वारा मेला स्थगित किए जाने से व्यापारियों से लेकर तीर्थ पुरोहितों को काफी नुकसान हुआ है कार्तिक पूर्णिमा मेले से उन्हें काफी उम्मीदें थी। यह पूर्णिमा तीर्थ पुरोहितों एवं व्यापारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पूर्णिमा होती है इस पूर्णिमा से तीर्थ पुरोहित और व्यापारी करीब 6 माह तक अपना खर्चा चला लेते थे लेकिन इस वर्ष मेला स्थगित होने पर तीर्थ पुरोहित एवं व्यापारियों का काफी नुकसान हुआ है।