बछरावां रायबरेली–बछरावां नगर व क्षेत्र में खुलने वाले छोटे बड़े होटलों और पंचर की दुकानों पर खुलेआम बालकों के श्रम का शोषण किया जा रहा है ।
बाल श्रम शोषण करने वालों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बने होटलों को चलाने वाले खुलेआम बालकों को होटलों पर रखकर झूठी प्लेटें चम्मच व गिलास धुलवा रहे हैं।
कहने को तो बाल श्रम कानून बनाया गया है किंतु ग्रामीण इलाकों में बाल श्रम रोकने हेतु कोई भी उपाय ना किए जाने से बालकों के श्रम का शोषण खुलेआम किया जा रहा है। बाल श्रम को शोषण से मुक्ति दिलाने के दावे ग्रामीण इलाकों में स्थित चाय की दुकानों व होटलों में हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।
बताया जाता है कि बाल श्रम शोषण को रोकने की जिम्मेदारी जिन लोगों को दी गई है वह लोग अपनी जिम्मेदारी से काम करने से कतरा रहे हैं। बाल श्रमिकों का शोषण खुलेआम किया जा रहा है। शादी बारातो मैं कभी भी किसी भी समय बाल श्रमिको आसानी से काम करते हुए देखा जा सकता है ।
क्षेत्र में स्थित चाय की दुकानों पर छोटू को कभी भी लोगों को चाय परोसते हुए वा झूठे दोना पत्तल उठाते हुए आसानी से देखा जा सकता है ।बाल श्रमिकों के शोषण की फेहरिस्त भी लंबी है ।गांव कस्बों के होटलों मोटरसाइकिल की दुकानों कपड़ों की दुकानों पर बाल श्रमिकों को सस्ती दर पर काम करते हुए देखा जा सकता है ।
दुकानों पर काम करने वाले इन बालकों को कम रुपए देकर अधिक समय तक काम लिया जाता है ।बाल श्रमिकों के काम करने का कोई समय निर्धारित नहीं होता है ।प्रातः सुबह से लेकर देर राततक इन बालकों से काम लिया जाता है ।
जबकि बाल श्रम कानून के मुताबिक 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम कराना कानूनन अपराध है ।यदि कोई व्यक्ति 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाते हुए पकड़ा जाता है तो उसे जेल की हवा खाने के साथ साथ आर्थिक जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है।
क्षेत्र में बाल श्रमिकों का शोषण कब तक होगा? क्या बच्चों के साथ बालश्रम अधिकारों की अनदेखी की जा सकती है? यदि नहीं तो बालकों के हितों की रक्षा करने वाले अधिकारी कब तक आंख बंद करके तमाशबीन बने रहेंगे।
