बछरावां रायबरेली _स्थानीय कस्बे के मुख्य बाजार में तथा शिवगढ़ मार्ग का पुल के नीचे फैला अतिक्रमण अधिकारियों को कब नजर आएगा तथा साप्ताहिक शनिवार की बाजार बंदी कब लागू होगी। शायद इसका जवाब जनपद के किसी अधिकारी के पास नहीं है। बीते कुछ वर्षों के दौरान कस्बे के अंदर अतिक्रमण का आलम यह हो गया है कि व्यापारियो की दुकान का जितना सामान दुकान के अंदर रहता है उससे कहीं ज्यादा दुकान के बाहर सड़क पर लगा रहता है । इन व्यापारियों के द्वारा दुकान के सामने तखत व तखत के आगे तमाम तरह के सामानों के बोरे लगा दिए जाते हैं। शिवगढ़ मार्ग से सब्जी मंडी की तरफ जाने वाली मार्ग जो किराना मार्गं के नाम से जाना जाता है इस त्रासदी का सबसे बड़ा शिकार है गल्ला मंडी के अंदर कल्लन की पान की दुकान के सामने से जाने वाले मार्ग को दो व्यापारियों द्वारा इस कदर अधिकृत कर रखा गया है।कि एक मोटरसाइकिल का भी निकलना दूभर हो जाता है । यही हालत पुराने नगर पंचायत कार्यालय से गल्ला मंडी के रास्ते की है शिवगढ़ मार्ग का तो ऊपर वाला ही मालिक है होटलों की भट्टिया तथा पंपिंग सेट की पिंटिया राहगरीबों को मुंह चिढाती हैं कुछ बड़े लोगों द्वारा अपनी गाड़ियों को खड़ी करने के लिए पुल के नीचे का स्थान गैरेज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। पता नहीं अधिकारियों की नजरें इस ओर क्यों नहीं पड़ रही है कुछ माह पूर्व बछरावां थाने की पुलिस द्वारा अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी गई थी। दो-चार दिन थोड़ी बहुत राहत रही । परंतु वही आलम फिर हो गया और तो जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक शनिवार को बछरावॉ बाजार की बंदी कराने का निर्णय इस लिए किया गया था कि दुकानों पर काम करने वाले श्रमिकों को एक दिन का अवकाश मिल सके। यह नियम भी बछरावां में बेमानी साबित हो रहा है शनिवार के दिन भी सर्राफा , किराना व कपड़े की लगभग 80% दुकानें खुली रहती है यह जरूर है कि श्रम विभाग के चपरासी यदा-कदा सलाम ठोक कर व्यापारियों से धन उगाही करता नजर आता है। क्षेत्र के बौद्धिक वर्ग का कहना है क्या कस्बे से लेकरजनपद तक कोई ऐसा अधिकारी नहीं है जो इस सप्ताहिक बाजार बंदी को सफल बनाते हुए अतिक्रमण से निजात दिला सकें।
रिपोर्ट अमित मिश्रा